वक़्त

ए दिल कुछ तो सब्र कर
सुखा पत्ता भी नहीं गिरता अपने वक़्त से पहले !

चले गए जल्दी थी जिनको
खुदा भी दुवा नहीं सुनता अपने वक़्त से पहले !

पाएगा मंज़िल एक दिन राही
गाएगा यही एक दिन राही
रौब न कर इतना खुदपे राही
आसमाँ भी नहीं झुकता अपने वक़्त से पहले !

मैं कायर नहीं ना बेवकूफ़
मंजर ए जंग नहीं दिखता अपने वक़्त से पहले !

मौतसे ज़िन्दगी है मुश्क़िल
अमन की डगरभी है मुश्किल
बिन सोचे हथियार उठानेवालों
इन्क़िलाब भी नहीं आता अपने वक़्त से पहले !

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