तुम्हारे लबोंसे निकले
तो जी उठे हैं जैसे
दिल के कागज़ पर
बड़े मायूस पड़े थे
छुपतेछुपाते देखा किया
डरता था इस जमानेसे
क़दमक़दम पर जो
बड़े जासूस खड़े थे
अब जो जान आइ है
यह भरम ना निकले
यूँ तो बदनामी के
वैसे जुलूस बड़े थे
बस एक फ़र्याद है के
मुड़ के न जाना तेरे
ना होने के सदमें
होते महसूस बड़े थे