अल्फ़ाज कभी तो

मुझपे ना हसो कभी तो आया करो दुनियाके इस पार तो समझ जाओगे अल्फ़ाज कभी तो है दुवा कभी आफ़त , एक मर्ज है ! अपनेही हाथोंसे कर देता हूँ टुकडे टुकडे कभी दिलके, कभी यादोंके समझती है इसे पागलपन मेरा दुनियाभी बड़ी ख़ुदगर्ज है ! आते हो कभी तो कहते हो यह महफ़िल है…

अभी बाकी है

कुछ बता दिया है कुछ सुनाना अभी बाकी है थोड़े मान गए हैं थोड़ा मनाना अभी बाकी है बहुत संभाला है मैंने ईस दिल को तनहाईमे बेवफा वह नहीं पर ये क्या झुल्म हैं वफाईमे जानते ते हैं वह भी यह भी बताना अभी बाकी है उनका हँसना है जैसे चलती हो कटार कोई आज़मालो,…