पिछले कुछ सालोंसे हाथ मैं डफ़ली लेकर ख़ुदको ग़रीबोंका मसीहा बताने वाले लोगोंका बड़ा जथ्था सड़कोंपर दिखाई देने लगा है। यह सालोसाल छात्र बने रहते हैं, नागरिकोंके टैक्स पर नागरिकोंको भड़काते हैं। इन्हे ना हिन्दू से प्यार है ना हिंदुस्तान से लगाव। अपने मिथ्या स्वार्थ के लिए गरीबी को इस्तेमाल करते हैं , गुंडागर्दी करते…
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हे जननी जन्मभूमी
तू अभंग कारुण्यमूर्ती तू रवी दिव्यसम स्फूर्ती तू पतित पावन गंगा सागराची अमर्त्य उर्मी हे जननी जन्मभूमी सुफला वरदा तू धरिणी तृणसमान स्वर्ग या चरणी विश्वमुकुटी तू राजमणी तव गाऊ कशी आरती मी हे जननी जन्मभूमी हे माते मंगलदायिनी देवी शौर्यरत्न धारिणी कर जोडून तुज वंदितो मनमंदिराच्या धामी हे जननी जन्मभूमी तव नाम जणूकी स्तोत्र…