शिक़वा Posted on November 19, 2014May 6, 2017 By Rohit BapatPosted in Hindi/Urdu Poetry, Literature, Poetry करें तो किससे शिक़वा करें हर ग़म से पर्दा उठानेका, काम गर हवा करे वह भी तो छुपाते हैं आँसुओंको हम जताभी न सकते, इसकी क्या दवा करें फ़ासलें भी बिछे हैं काँटोंसे याद आए भी तो तुम, कहो हम क्या करें Spread the love