शिक़वा

करें तो किससे शिक़वा करें
हर ग़म से पर्दा उठानेका,
काम गर हवा करे

वह भी तो छुपाते हैं आँसुओंको
हम जताभी न सकते,
इसकी क्या दवा करें

फ़ासलें भी बिछे हैं काँटोंसे
याद आए भी तो तुम,
कहो हम क्या करें

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