शहरोंमें मरकर जीने वाले तुने देखा ही क्या?
जिंदगीका मातम करने वाली रुदालियॉं देख
तुझे क्या पता न हुवे जुल्म़पे रोनेकी लज्जत?
बस तेरी मेहनतपे जलनेवालोंकी गालीयॉं देख
शहरमें कहाँ है मुशक्कत आसान है सबकुछ
मुश्क़िलोंपे रोनेवालोँ को मिली तालीयाँ देख
हर शाख पे उल्लू बैठा हो यह जरूरी तो नहीं
दूसरी को सब्ज़ होते सुखनेवाली डालियाँ देख
भूका तो भूका ही रहेगा गर कोई काम नहीं है
भूके पटोंपर बनी रेहनुमाओंकी अट्टालियाँ देख