हर एक जुर्म की हर एक सजा होती है
जिंदगीमें शुरू जिंदगीमें ख़त्म होती है
हम तो वह जुर्म ए अझीम कर बैठे
जिस्म मर जाते हैं पर रूह ना फना होती है !
हमें अफ़सोस नहीं इश्कमे जो मरमिटे हम
कीमतही राह ए इश्ककी की वफ़ा होती है ..
कभी मिलनाही हुवा उनका किसी मोड़ पे तो
उनसे कह देंगे यह भी एक सजा होती है !