रौशनी Posted on June 11, 2013April 1, 2017 By Rohit BapatPosted in Hindi/Urdu Poetry, Literature, Poetry क्यों कोई रोए किसीके लिए ? हर परवाना जानता है शबनमसे मुहब्बत का नतीज़ा ! लौट जाओ दोस्तों यह रौशनी कहीं राख ना कर जाए तुम्हेंभी Spread the love