मुझको रुलानेवाले
क्या हुवा आज, के तेरी भी आँखें
नम पड गई ?
कहते हैं
फासलोंसे मिट जाते हैं फासले
मैं तुझसे
दूर जाना चाह रहा था कभी
आज क्या हुवा जो
नजदीकियाँ यूँ कम पड गई ?
जिंदगी तो कारवाँ है
कभी ना कभी
तो मिल ही जाएंगे
आज क्या हुवा जो आजकी
मुलाक़ात सितम बन गई ?