डर था दर्या ए दुनिया में डूब जाएंगे
डूब गए तो एक मोती मिल गया
उसका रंग था ऐसा जाँनशीं के
कोई और मुझको अब तो भाती नहीं
शमा ए हुस्न तेरी बुझ पाती नहीं
नींद आती है मगर नींद आती नहीं
सबा मायूस छोर पे शब्बे फ़िराक़के
रात आती है मगर फ़िर वो जाती नहीं
शराबी होनाही था गर तू बना है साक़ी
दिलसे गुजरी याद फ़िर जलाती रही
कल ना ढूंढना हम न आएँगे यारों
मुहब्बत की गालियाँ मुड़ पाती नहीं
यह तो मेरे इश्क़ का अब है इम्तेहाँ
जान जाती रही और मौत आती नहीं