हम ईस जुस्तजूमें बरबाद हुए
हम गुमनाम रहे वे आबाद हुए
ऐतबार था कारवाँ ए नादानी पर
खताही सही मौजोंकी रवानी पर
गिरते संभलते रहे हम हर क़दम
मंजिल न मिली न ही आझाद हुए
बनते बिगड़ते ख़्वाब हैं मुकद्दर
हर मोड़ एक तूफ़ान है मुकद्दर
वफ़ा ए ख्वाबका यही सिला है
चुप रहे ख़ामोशसी फर्याद हुए
अब ना ख्वाब हैं ना मंज़िल कोई
ना ही कश्ती हैं ना साहिल कोई
बस एक जुस्तजू है बाकी राही
हम ईस जुस्तजूमें बरबाद हुए