इंतजार

यह सुबह बड़ी बेक़रार रही
दिन से भी इख़्तियार नहीं
शाम से भी कोई इक़रार नहीं
रात पर भी तो ऐतबार नहीं

कभी हया कभी दीवार रही
बात तो अधूरी बारबार रही
हर वक़्फ़ा मौत बनके आए
यह जिंदगी तो बस बेकार सही

तैरोगे तो डुबना भी होगा राही
इश्क़ में होता इन्कार नहीं
हर दिन गुजरता है यूँ के
इस पार भी नहीं उस पार भी नहीं

खो न जाए यह खुमार यूँही
बादलोंमे अँधेरा तैय्यार कहीं
बरसे तो कहूँ सच्चाई है ज़िंदा
नहीं तो फिरसे इंतजार सही

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