फुरसत मिली है आज राही, कुछ हिसाब कर ही लूँ
जोड़ तोड़ ही सही एक बार, सिफर को जवाब कर ही लूँ
कुछ पल पूछ रहे हैं बेसब्र, गए वक़्त उनका क्या बना ?
सियाही ओ अश्क़ से सने हैं, उनकी किताब कर ही लूँ
सितारे कम हो रहे हैं सुबह होने को है? ना जगाओ
एक बार सिफर मिले आज, तो यह सवाब कर ही लूँ