गुमनाम

आँखोमें बाउम्मीद
बेकरारी जो है ,
सूख जाए अगर
तो फिरसे नम हो जाएंगे..

पानी तो पानी है
छलके तो आंसू ,
यूँही पी लूँ तो
सुलखते गम हो जाएंगे..

हर जख्म की
कहानी अधूरी है ,
आदत है खुदको
सहलाते हम सो जाएंगे..

बेवफाई का सबब
आँहोंसे ना देना ,
आँधी चली तो
कुछ पत्ते कम हो जाएंगे..

उक्ता गई हैं गलियाँ
मेरी तलाश से ,
बदनाम हुए हैं यूँ
अब ना गुमनाम हो पाएंगे !

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