एक ऐसा शहर..

अगर मैं कोई जादुगर होता
हर एक पल को बुलबुला बना देता
ख़त्म हो जाते कुछ लम्होंमें
फिर कभी न आते यादोंमे
याद आती भी
तो हर याद को कश्ती बनाके
पानीमे बहा देता
फिर कभी ना मिलने के लिए
कच्ची बुनियादोंपर खड़े घर
और उनमे रहते झुठे लोग
कई सावन आ गए
जाने क्या कुछ बहा ले गए
क्या क्या ढहा ले गए
उन्ही बंजर शहरोंपर
एक ऐसी दिवार खड़ी कर देता
फिरसे कोई तुफ़ान आया भी
तो कुछभी ना बह जाए
उसमे बसी यादोंको छोड़कर !
अगर मैं कोई जादुगर होता
तो एक ऐसाही शहर बना देता ..

Rolla, MO (US)

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