सफर था ऐसा सारे अपने
पराये छुट गए
हमसफर बनके जो चले
वह साए छुट गए
क्या ख़बर थी ये राहें यूँ
दूर जाएँगी मंज़िल से पहले
झूटी दोस्ती जताके साथ
जो आये छुट गए
एक शमाँ रौशन है फिर भी
और सारी रात है बाक़ी
सितारे आते थे कभी पर्दोंको
उठाए छुट गए
ईन गलीमें आना हो ना हो
फ़िर यह ज़माना हो ना हो
इन्हींमें सपने थे कूछ
सजाए छूट गए
देख ले तू खिड़कीसे एक बार
तो मुड़ जाऊँ फिर न आऊँ
यहाँसे उठते आलम
भी हाए छुट गए