दर्द देनेके बाद कहते हो के माफ़ करदो उस वक़्त ही ज़हर दिया होता तो आज ना रोते हम ! मंजिल ना मिलने का ग़म नहीं है मुझे मगर वह मोड़ न आता तो यूँ बेआबरू ना होते हम ! कुछ टूटे सपनोंको समेटा है आज ही राही ग़र उम्मीद ना दी होती तो आजभी…
Category: Hindi/Urdu Poetry
Hindi/Urdu Poems
जुस्तजू
हम ईस जुस्तजूमें बरबाद हुए हम गुमनाम रहे वे आबाद हुए ऐतबार था कारवाँ ए नादानी पर खताही सही मौजोंकी रवानी पर गिरते संभलते रहे हम हर क़दम मंजिल न मिली न ही आझाद हुए बनते बिगड़ते ख़्वाब हैं मुकद्दर हर मोड़ एक तूफ़ान है मुकद्दर वफ़ा ए ख्वाबका यही सिला है चुप रहे ख़ामोशसी फर्याद हुए अब ना ख्वाब हैं ना मंज़िल…
सच
सच बिकता नहीं सच की आड़ में ख़ामोशी है बहाना कुछ बोला न जाए चुप रहाभी न जाए ज़माना है अंजान या यह भी है कोई फ़ितना ए सितम सच कहा न जाए और सहाभी न जाए
फ़िराक़
हम तो नवाझीश की थे फ़िराक़ में वे तो यूँ आए और यूँ ही चल दिए राततो सो न सकी हवा के अज़ाब में शमाँ बुझ गई तो ख़ुदही जल दिए ऐतबार तो फिरभी है वफ़ा ए यार में आहट आतेही फिरसे मचल दिए बताके बताया नहीं कुछ जवाब में सुकून ना मिला ना ही…
इंतजार
यह सुबह बड़ी बेक़रार रही दिन से भी इख़्तियार नहीं शाम से भी कोई इक़रार नहीं रात पर भी तो ऐतबार नहीं कभी हया कभी दीवार रही बात तो अधूरी बारबार रही हर वक़्फ़ा मौत बनके आए यह जिंदगी तो बस बेकार सही तैरोगे तो डुबना भी होगा राही इश्क़ में होता इन्कार नहीं हर…
रात फिरसे आयी है!
लो फिर आयी , सताने मुझे तनहाई कि चादर देने आयी है हाय ये रात बादलोसे उतरके झुठे सपने दिखाने आयी है हर बार इस राह पर यादोंके काफिलेसे गुजरते है इनमे होता था एक शहर अब वे मारे मारे फिरते है मैं जितना भागता हुं उतनीही पास वोह आती है मैं डर भी जाऊ…
शर्त
मंजूर है तेरी हर शर्त बस यह साबित करके दिखा के तू है कितने जले बदन कटे से मन टूटे सपने गिरे हुए हम सबको तसल्ली देते हो देते हो अपने करम का रहम मैं वह भी वहम पीने को तैयार हूँ बस … हसता है तू पत्थरोंमे दिवारोंपे लटकी तस्वीरोंमे अपने लिए बना दिया…
उम्मीद
होने को तो कुछ भी हो सकता है मगर जो मेरे साथ हुवा उसकी उम्मीद न थी मान चले थे जिस को हस्ती का सबब उस खुदा ने छोड़नेकी कोई बईद ना थी तेरे करमसे हर साँस चलती है, तू कह दे तो यह जान क्या है आसमान भी ले आऊँ तू ना कहता तब…
मुझको रुलानेवाले
मुझको रुलानेवाले क्या हुवा आज, के तेरी भी आँखें नम पड गई ? कहते हैं फासलोंसे मिट जाते हैं फासले मैं तुझसे दूर जाना चाह रहा था कभी आज क्या हुवा जो नजदीकियाँ यूँ कम पड गई ? जिंदगी तो कारवाँ है कभी ना कभी तो मिल ही जाएंगे आज क्या हुवा जो आजकी मुलाक़ात…
सीधी सीधीसी बात है राही
सीधी सीधीसी बात है राही पहले जैसीही रात है राही कितना चलेगा आखीर रहनी परछाई साथ है राही सीधी सीधी बात है राही .. मुकद्दर में है तो मिलेगा फिरदोस नहीं तो फिर यह दुनिया ही पाक सही बाकी तो खाली हाथ है राही सीधी सीधीसी बात है राही .. आँखोंमे बादलोंकी सियाही दिल में…