As the wind blew like a stranger I was betrayed by sleep Couldn’t keep my eyes closed The forest of thoughts was too dark too deep The night was lying on the trees dripping through branches quiet and dead It was a full moon that lost its way no signs on the meadow and the…
Author: Rohit Bapat
The King And The Window
And through those stony eyes He gazed out of the window In the month of May.. All he could see were dead vines and the snow.. King of his house.. The old man ruled his stick and a crooked chair.. Lit his wooden pipe.. birds had left the nest that stood in despair.. Memories clouded…
The Satan’s Bar
Everyone has to go that’s the game of destiny, Some can’t find the way out Some just go early That’s how the world works in ‘The Satan’s Bar’ I haven’t found the door to come out so far Game has no rules, play it only if you can take it .. Crown.. snatch it scratch…
What if..
What if he never comes back ? What if you never see him again ? What if you want to feel the tears ? And all you get is pouring rain.. Did you see the stars before you showered the night with that curse .. You told him to go away now he’s gone so…
हे जननी जन्मभूमी
तू अभंग कारुण्यमूर्ती तू रवी दिव्यसम स्फूर्ती तू पतित पावन गंगा सागराची अमर्त्य उर्मी हे जननी जन्मभूमी सुफला वरदा तू धरिणी तृणसमान स्वर्ग या चरणी विश्वमुकुटी तू राजमणी तव गाऊ कशी आरती मी हे जननी जन्मभूमी हे माते मंगलदायिनी देवी शौर्यरत्न धारिणी कर जोडून तुज वंदितो मनमंदिराच्या धामी हे जननी जन्मभूमी तव नाम जणूकी स्तोत्र…
रात फिरसे आयी है!
लो फिर आयी , सताने मुझे तनहाई कि चादर देने आयी है हाय ये रात बादलोसे उतरके झुठे सपने दिखाने आयी है हर बार इस राह पर यादोंके काफिलेसे गुजरते है इनमे होता था एक शहर अब वे मारे मारे फिरते है मैं जितना भागता हुं उतनीही पास वोह आती है मैं डर भी जाऊ…
शर्त
मंजूर है तेरी हर शर्त बस यह साबित करके दिखा के तू है कितने जले बदन कटे से मन टूटे सपने गिरे हुए हम सबको तसल्ली देते हो देते हो अपने करम का रहम मैं वह भी वहम पीने को तैयार हूँ बस … हसता है तू पत्थरोंमे दिवारोंपे लटकी तस्वीरोंमे अपने लिए बना दिया…
उम्मीद
होने को तो कुछ भी हो सकता है मगर जो मेरे साथ हुवा उसकी उम्मीद न थी मान चले थे जिस को हस्ती का सबब उस खुदा ने छोड़नेकी कोई बईद ना थी तेरे करमसे हर साँस चलती है, तू कह दे तो यह जान क्या है आसमान भी ले आऊँ तू ना कहता तब…
मुझको रुलानेवाले
मुझको रुलानेवाले क्या हुवा आज, के तेरी भी आँखें नम पड गई ? कहते हैं फासलोंसे मिट जाते हैं फासले मैं तुझसे दूर जाना चाह रहा था कभी आज क्या हुवा जो नजदीकियाँ यूँ कम पड गई ? जिंदगी तो कारवाँ है कभी ना कभी तो मिल ही जाएंगे आज क्या हुवा जो आजकी मुलाक़ात…
सीधी सीधीसी बात है राही
सीधी सीधीसी बात है राही पहले जैसीही रात है राही कितना चलेगा आखीर रहनी परछाई साथ है राही सीधी सीधी बात है राही .. मुकद्दर में है तो मिलेगा फिरदोस नहीं तो फिर यह दुनिया ही पाक सही बाकी तो खाली हाथ है राही सीधी सीधीसी बात है राही .. आँखोंमे बादलोंकी सियाही दिल में…