देर

आज समझा तेरी हमदर्दी का सबब हवा का रुख बदलते देर नहीं लगती कल जो दुवा अझीम थी आज हराम है तेरे ईमान को बदलते देर नहीं लगती कल तक क़ातिल था आज भगवान है ईन्सानियत भी बदलते देर नहीं लगती एक पल में सच्चाई गुम हो जाती है इन मुखौटों को बदलते देर नहीं…

दर्द

दर्द देनेके बाद कहते हो के माफ़ करदो उस वक़्त ही ज़हर दिया होता तो आज ना रोते हम ! मंजिल ना मिलने का ग़म नहीं है मुझे मगर वह मोड़ न आता तो यूँ बेआबरू ना होते हम ! कुछ टूटे सपनोंको समेटा है आज ही राही ग़र उम्मीद ना दी होती तो आजभी…

जुस्तजू

हम ईस जुस्तजूमें बरबाद हुए हम गुमनाम रहे वे आबाद हुए ऐतबार था कारवाँ ए नादानी पर खताही सही मौजोंकी रवानी पर गिरते संभलते रहे हम हर क़दम मंजिल न मिली न ही आझाद हुए बनते बिगड़ते ख़्वाब हैं मुकद्दर हर मोड़ एक तूफ़ान है मुकद्दर वफ़ा ए ख्वाबका यही सिला है चुप रहे ख़ामोशसी फर्याद हुए अब ना ख्वाब हैं ना मंज़िल…

फ़िराक़

हम तो नवाझीश की थे फ़िराक़ में वे तो यूँ आए और यूँ ही चल दिए राततो सो न सकी हवा के अज़ाब में शमाँ बुझ गई तो ख़ुदही जल दिए ऐतबार तो फिरभी है वफ़ा ए यार में आहट आतेही फिरसे मचल दिए बताके बताया नहीं कुछ जवाब में सुकून ना मिला ना ही…

‘Anonymous’

The Blood finally found it’s way Suppressed underneath the skin Finally the sky’s clean.. When the ashes will settle down On the carved rocks of silent town The history shall lean.. Alas, the shadows got blurred Spitting fire.. the guns got purged Peace with a rosy sheen.. No.. you won’t ever know me whether was…

इंतजार

यह सुबह बड़ी बेक़रार रही दिन से भी इख़्तियार नहीं शाम से भी कोई इक़रार नहीं रात पर भी तो ऐतबार नहीं कभी हया कभी दीवार रही बात तो अधूरी बारबार रही हर वक़्फ़ा मौत बनके आए यह जिंदगी तो बस बेकार सही तैरोगे तो डुबना भी होगा राही इश्क़ में होता इन्कार नहीं हर…