सारे चिराग

सारे चिराग ए मुहब्बत जलाए रखिये उनका इस गलीसे गुजरने का वक़्त है ख़्वाबोँसे पलकोंका परदा उठाए रखिये उनका इन आँखोंमे बसरने का वक़्त है हवा महसूस करे है उसे ना दबाए रखिये उनका इन झोकोंमे महकने का वक़्त है हमराह है वो मेरा माहौल बनाए रखिये उनका इन साँसोंमे उतरने का वक़्त है अबके…

पी जो नहीं

जी करता है गोदमें तेरे सर रख कर सो लूँ बरसो बादल रोका है सब आजही मैं रो लूँ पी जो नहीं तो कैसा दरपन कैसे ये दिन रैन तन मन पी के पैरोमें अब अतमन भी खो लूँ जो तू मुड कर जाए सैय्याँ हाथ ना छोड़ूँ बह जाएगी राहें सारी बरस बादल हो…

तेरी याद

तेरी याद आई तो दीवारें तंगसी हो गयी खिड़कीमें आया तो ख़ुदसे कुछ कहने लगा तो दूरसे किसीके रोने की आवाज़ आई मैं हैरान… देखने लगा निचे उतरा एक शख़्स सामने आया कुछ दीवाना सा, आँखे नम थी कहने लगा मैंने किसीको रोते हुवे सुना .. मगर यह शहर तो कब का वीराँ हो चुका है…

चाँद से कह दो

चाँद से कह दो अब उसकी जरुरत नहीं मशरूक हैं हम दीदार ए यार के हमें अब झूठे हुस्न को देखने की फुरसत नहीं क्या खबर थी एक जवाबसे बदलेगी दुनिया एक पलमें गर बदल जाती है जिंदगी फिर उस बनानेवाले से अब कोई हसरत नहीं किस तरह से शुक्रिया अदा करें तेरा सनम सबकुछ…

कोई और

डर था दर्या ए दुनिया में डूब जाएंगे डूब गए तो एक मोती मिल गया उसका रंग था ऐसा जाँनशीं के कोई और मुझको अब तो भाती नहीं शमा ए हुस्न तेरी बुझ पाती नहीं नींद आती है मगर नींद आती नहीं सबा मायूस छोर पे शब्बे फ़िराक़के रात आती है मगर फ़िर वो जाती…

एक मोती

लग रहा था डूब जाएंगे दुनिया के दर्याह में तेह तक पहुँचे तो जी उठे एक मोती जो मिल गया इश्क़ किया तो मौजज़ा हुवा एक पलमें किनारा कश्ती को मिल गया