वह बेवकुफ़ियाँ ही हैं जिन्होंने जीना सिखाया वरना सही करते करते कब के बिगड़ जाते हम धुपमें सुलगते हुवे सीखा ख़्वाबोंको सींचना वरना बारिश याद करते कब के उजड़ जाते हम मेरा होनाही है सबूत मेरे होने का दोस्तों गर दुनिया की सुनते तो खुद से बिछड़ जाते हम
Author: Rohit Bapat
सूरज को ढलना था
सूरज को ढलना था सो ढल गया आज फिर एक मौसम बदल गया पंछियोंका बसेरा भी क्या बसेरा पंछी ऊब गया सो निकल गया ख़्वाब ख़त्म हो जाए तो पूरा हो क्यों किसीका फ़साना अधूरा हो क्या दिन क्या रातका अंधेरा अपना वक़्त हुवा सो निकल गया मैं मुसाफ़िर मेरा क्या ठिकाना जहाँ राह मुड़े…
अब तू ही
अब तू ही छोड़ चली जा यादोंको वरना मुश्किल है तुझे भूल जाना या तो एक बार दिलकी राख कर जा क्यों है तुझे उसे रोज रोज जलाना दवा बता जिससे मेरा दर्द हो कम या तो जहर दे ख़त्म कर फ़साना ख़ुदसेही आँखमिचोली करे राही भुलती नहीं मगर तू याद आना
हिसाब-सवाब
फुरसत मिली है आज राही, कुछ हिसाब कर ही लूँ जोड़ तोड़ ही सही एक बार, सिफर को जवाब कर ही लूँ कुछ पल पूछ रहे हैं बेसब्र, गए वक़्त उनका क्या बना ? सियाही ओ अश्क़ से सने हैं, उनकी किताब कर ही लूँ सितारे कम हो रहे हैं सुबह होने को है? ना…
Sycophancy And Prayer
Sycophancy Might not be the best way To achieve the goal But love Is the magical chemical That converts it Into Prayer !!
कहानी
उठी हैं पलकें, ख़त्म है कहानी अंगड़ाई ले रही है, फुलोंकी रानी कहानी थी एक सहजादेकी उतरा था जो बादलोंसे ढूंढ रहा था, सपनोंकी रानी हर डगर हर पल सालोंसे फिर जाने की, सोच रहा था बैठा था उदास होके हवा चली ऐसी, कोई फूल हँसा नूर ए जन्नत लेके उसे छू गई हवा, तो…
यह दुनिया
यह दुनिया छोटी है गोल है सब झूठ है सब झूठ है ऐसा ना होता तो कभी ना कभी तो वो डगर आती जिसपर तुम आँखे बिछाए खड़ी होती हो! क्योंकी मैं तो बड़ी देर से बस चलता ही जा रहा हूँ चलता ही जा रहा हूँ यह दायरा जो ख़त्मही नहीं होता सब झूठ…
इश्क़ होनेसे पहले
नरम होठोंसे कभी कहती है कुछ चमकती है बिजली जैसे कभी ख़ामोश होती है फ़िरभी अब मैं सब समझने लगा हूँ फिरता था सुलझाते सवाल सारे इश्क़ होनेसे पहले और अब हर एक छोटीसी अदाओंसे उलझने लगा हूँ
तलाश
मेरी उम्रभर की तलाश थी एक पलमें तुने मिला दिया एक नजरमें बरसों बिछड़े दिलसे दिलको मिला दिया तू न जाने तूने है क्या किया ख़्वाब जिंदगीसे मिला दिया तुझसे जुडी हैं मेरी मंजिलें तुझपेही ख़त्म हैं सिलसिले ये तेरे इश्क़ की है इन्तेहा जो खुदमे मुझको मिला दिया पूछा करते हैं लोग अक्सर ये…
पधारो नी बालमवा
पधारो नी बालमवा मनवामें मारो तो घुँघट खोलूँ तोसे बोलूँ सावरा छब तोरी कनखियोंसे तोलूँ पधारो नी बालमवा अंगनामे मारो तो दीप जलाऊँ तोसे खिलाऊँ हाथोंसे अपने तोरी नजर उतार लाऊँ पधारो नी बालमवा साँसोंमे मारो तन मन बना लूँ मैं उठा लूँ घुँघट सारे ना जाने दूँ ना मैं भी कहीं जाऊँ