ए बेवफ़ा क्या खूब बहाना बनाया तुने
बस थोड़ीसी देर हो गयीथी मुझे आनेमें
तूने मुड़कर भी न देखा मुझे है यकीन
इस कदर जल्दी थी तुझे यूँ दूर जानेमें
मेरा कसूर क्या जो वक़्त ने ठोकर दी
कुछ पल ही लगा करते थे समझानेमें
तुझे ज़ालिम कहूँ यहभी खुदगर्जी होगी
मजलूम भी तो रहने न दिया जमानेमें
फिर मुलाक़ात होगी यह सोचा न था
अब तो कुछ सूखे आंसू हैं नजरानेमें
अब मुझसे सनम कुछ उम्मीद ना कर
अब वह दिलभी नहीं धड़कता सीनेमें