तू भी गर नहीं Posted on November 18, 2014May 4, 2017 By Rohit BapatPosted in Hindi/Urdu Poetry, Literature, Poetry कोई फ़िरदौस नहीं गर दुनियासे रुखसत नहीं कोई दुनिया भी नहीं गर साजनको फुरसत नहीं कोई मैं भी तो नहीं गर तू नहीं तेरी आदत नहीं कोई तू भी गर नहीं तो रह क्या गया बेजानसी हवा और रेत कहीं ! Spread the love