महफ़िल

बरबाद हो रहा है कोई
कोई ग़म भुला रहा है

ऐसा ही होता है दोस्तों
ऐसा ही होता है
भरी महफ़िलमे जब कोई रोता है

शायर का घुट रहा है दम
कोई जख़्म भुला रहा है

आज मैं हूँ नज़ारा
कल कोई और खड़ा था
होके बेबस ईसी गलियोंमे पड़ा था

गिरना था मुक़द्दर
हाथ ना देना देखो
यह कारवाँ न रुक जाए

ईस कैफ़ियतमें भी
दिलसे आवाज़ देके
कोई नज्म भुला रहा है

बरबाद हो रहा है कोई
कोई ग़म भुला रहा है

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