दर्द

दर्द देनेके बाद कहते हो के माफ़ करदो
उस वक़्त ही ज़हर दिया होता तो आज ना रोते हम !

मंजिल ना मिलने का ग़म नहीं है मुझे
मगर वह मोड़ न आता तो यूँ बेआबरू ना होते हम !

कुछ टूटे सपनोंको समेटा है आज ही राही
ग़र उम्मीद ना दी होती तो आजभी चैनसे सोते हम !

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