रौशनी

क्यों कोई रोए किसीके लिए ?
हर परवाना जानता है
शबनमसे मुहब्बत का नतीज़ा !
लौट जाओ दोस्तों
यह रौशनी
कहीं राख ना कर जाए तुम्हेंभी
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