कहते हैं मेरे दोस्त

कहते हैं मेरे दोस्त कभी
मुहब्बत ना करो ..
पत्थरदिल इस दुनियाकी
इबादत ना करो ..

जीने ना देंगे तुम्हे कहीं
और ताने भी देंगे सभी
हुए नाकाम गर तो कहेंगे
शिकायत ना करो ..
कहते हैं मेरे दोस्त कभी
मुहब्बत ना करो ..

बदलते हैं वे सिमाब जैसे
पलमें बिखरता ख्वाब जैसे
ले जाएंगी दूर राहें खुदसे
रुख़सत ना करो ..
कहते हैं मेरे दोस्त कभी
मुहब्बत ना करो ..

यह दिल भी बड़ा नादान है
मुक़द्दर से अभी अंजान है
रहने दो इसे धुंद में अपनी
मसलत ना करो ..
कहते हैं मेरे दोस्त कभी
मुहब्बत ना करो ..

जिसने पाया लुट गया है वह
मिला नहीं है वह बेक़रार है
मुझे भी डूब जाने दो यारों
रुकावट ना करो ..
कहते हैं मेरे दोस्त कभी
मुहब्बत ना करो ..

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