जिम्मेदारी

मैं जानता हूँ मेरे अल्फाजके कोई मायने नहीं है
बस के खुदाने शायर बना दिया है जिम्मेदारी है

आफताब नहीं हूँ पर चिंगारी तो बन चुका हूँ मैं
कभी जलना है तो कभी जलाना है जिम्मेदारी है

हर पेड़ जानता है अपनी औक़ात ए आशियाना
बस के लोग बारिशमें पनाह लेते हैं जिम्मेदारी है

जहन्नुमसे खौफ और दोजखसे वासता नहीं है
शाम होते घर भी तो जाना होता है जिम्मेदारी है

सिर्फ बुरे वक्तमें याद करते हैं यह भी क्या कम है
ऐसे दोस्तोंकी मदद करनी होती है जिम्मेदारी है

भुल जाएगी मुझेभी दुनियाँ कौनसी बडी बात है
अभी के लिए तो शामिल रहना है जिम्मेदारी है

ख़फ़ा होते हैं लोग कई रुसवाइयाँ भी होती है
निचे रखतेही मेरी कलम कहती है जिम्मेदारी है

हो सकता है एक दिन हो जाऊँ रुबरू जिंदगीसे
मगर तब तक है लाजमी के जीना है जिम्मेदारी है

एक बार मुकद्दरसे पुछही लिया सबब ए हालात
हँसके बोला तेरी कयामत आनी है जिम्मेदारी है !

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