हजार तीर चुभे हैं दिलमें एक और सही
खूँ तो बचा जितना था उतना ही बहेगा !
हर कतरा कहेगा
तुम तो नहीं थे बेवफ़ा .. तुम तो नहीं थे बेवफ़ा
हर शहर का अंजाम है खंडहर हो जाना
मेरा नाम ना सही खंडहर तो बचा रहेगा !
हर पत्थर कहेगा
मरूँगा मैं कितनी दफ़ा .. मरूँगा मैं कितनी दफ़ा
दर्दसे जाग उठी हैं आवाजेंसी कुछ हाए
गुमनामी का डर भी अब यूँ सताता रहेगा
और दिल कहेगा
ख़ुदसे कभी ना हो ख़फा .. ख़ुदसे कभी ना हो ख़फा