शर्त

मंजूर है तेरी हर शर्त बस
यह साबित करके दिखा
के तू है
कितने जले बदन कटे से मन
टूटे सपने गिरे हुए हम
सबको तसल्ली देते हो
देते हो अपने करम का रहम
मैं वह भी वहम पीने को
तैयार हूँ बस …
हसता है तू पत्थरोंमे
दिवारोंपे लटकी तस्वीरोंमे
अपने लिए बना दिया है
एक फिरदोस उधर बादलोंमें
हर जहन्नम पाक मान लूँ
मर जाऊँ बस …
अपनेही सायेसे डरता हूँ
नसीब खंजर बनता है
डसता है रातका सन्नाटा
दिल बुलबुला बनता है
अपनेही खून से मिटा दूँ
घाव सारे बस …
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